भारत का भुआकृतिक विभाजन
1. उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी पर्वतमालाएं
2. उत्तरी भारत का मैदान
3. प्रायद्वीपीय पठार
4. भारतीय मरुस्थल
5. तटीय मैदान
6. द्वीप समूह
धरातलीय स्वरूप
- चट्टानें व मिट्टी आपस में संबंधित हैं क्योंकि असंगठित चट्टानें वास्तव में मिट्टियाँ ही हैं।
- पृथ्वी के धरातल पर चट्टानों व मिट्टियों में भिन्नता धरातलीय स्वरूप के अनुसार पाई जाती है।
- पृथ्वी की आयु लगभग 460 करोड़ वर्ष है।
- इतने लम्बे समय में अंतर्जात व बहिर्जात बलों से अनेक परिवर्तन हुए हैं।
- करोड़ों वर्ष पहले 'इंडियन प्लेट' भूमध्य रेखा से दक्षिण में स्थित थी।
- करोड़ों वर्षों के दौरान, यह प्लेट काफी हिस्सों में टूट गई में और आस्ट्रेलियन प्लेट दक्षिण-पूर्व तथा इंडियन प्लेट उत्तर दिशा में खिसकने लगी।
- इंडियन प्लेट का खिसकना अब भी जारी है और इसका भारतीय उपमहाद्वीप के भौतिक पर्यावरण पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव है।
संरचना के आधार पर भारत का विभाजन
1. प्रायद्वीपीय खंड
- प्रायद्वीप खंड की उत्तरी सीमा कटी-फटी है, जो कच्छ से आरंभ होकर अरावली पहाड़ियों के पश्चिम से गुजरती हुई दिल्ली तक और फिर यमुना व गंगा नदी के समानांतर राजमहल की पहाड़ियों व गंगा डेल्टा तक जाती है।
- उत्तर-पूर्व में कर्बी ऐंगलॉग व मेघालय का पठार तथा पश्चिम में राजस्थान इसी का विस्तार हैं।
- राजस्थान में प्रायद्वीपीय खंड मरुस्थल स्थलाकृतियों से ढका है।
- प्रायद्वीप प्राचीन नाइस व ग्रेनाईट से बना है।
- यह भूखंड एक कठोर खंड के रूप में खड़ा है।
- प्रायद्वीप में मुख्यतः अवशिष्ट पहाड़ियाँ शामिल हैं, जैसे- अरावली और महेंद्रगिरी पहाड़ियाँ आदि।
- यहाँ की नदी घाटियाँ उथलीं और उनकी प्रवणता कम होती है।
- यहाँ की नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले डेल्टा निर्माण करती हैं।
- महानदी, गोदावरी और कृष्णा द्वारा निर्मित डेल्टा इसके उदाहरण हैं।
हिमालय तथा अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वतमालाएं
- पर्वतमालाओं की भूवैज्ञानिक संरचना दुर्बल और लचीली है।
- वर्तमान समय में भी बहिर्जनिक तथा अंतर्जनित बलों से प्रभावित हैं
- इन पर्वतों की उत्पत्ति विवर्तनिक हलचलों से जुड़ी हैं।
- ये पर्वत अभी भी युवा अवस्था में हैं।
सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान
- यह एक भू-अभिनति गर्त है जिसका निर्माण मुख्य रूप से हिमालय पर्वतमाला निर्माण प्रक्रिया के तीसरे चरण में लगभग 6.4 करोड़ वर्ष पहले हुआ था।
- तब से इसे हिमालय और प्रायद्वीप से निकलने वाली नदियाँ अपने साथ लाए हुए अवसादों से पाट रहीं हैं।
- इन मैदानों में जलोढ़ की औसत गहराई 1000 से 2000 मीटर है।
भारत का भुआकृतिक विभाजन
1. उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी पर्वतमालाएं
2. उत्तरी भारत का मैदान
3. प्रायद्वीपीय पठार
4. भारतीय मरुस्थल
5. तटीय मैदान
6. द्वीप समूह
1. उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी पर्वतमालाएं
- उत्तर तथा उत्तरी-पूर्वी पर्वतमाला में हिमालय पर्वत और उत्तरी-पूर्वी पहाड़ियों शामिल हैं।
- हिमालय में कई समानांतर पर्वत श्रृंखलाएँ हैं।
1. पार हिमालय श्रृंखलाएँ
2. बृहत हिमालय
3. मध्य हिमालय
4. शिवालिक
- हिमालय, भारतीय उपमहाद्वीप तथा मध्य एवं पूर्वी एशिया के देशों के बीच एक मजबूत लंबी दीवार के रूप में खड़ा है।
- हिमालय एक प्राकृतिक रोधक ही नहीं अपितु जलवायु अपवाह और सांस्कृतिक विभाजक भी है।
2. उत्तरी भारत का मैदान
- सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा बहाकर लाए गए जलोढ़ निक्षेप से बना है।
- पूर्व से पश्चिम लंबाई लगभग 3200 किलो मीटर है।
- औसत चौड़ाई 150 से 300 किलोमीटर है।
- जलोढ़ निक्षेप की अधिकतम गहराई 1000 से 2000 मीटर है
3. उत्तरी भारत का मैदान
- उत्तरी भारत के मैदान तीन प्रकार के है
i. भाभर
- 8 से 10 किलोमीटर चौड़ाई की पतली पट्टी है जो शिवालिक गिरिपाद के समानांतर फैली हुई है।
- नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार, जैसे- बड़े शैल और कंकड़ पत्थर जमा कर देती हैं
- कभी-कभी नदियाँ स्वयं इसी में लुप्त हो जाती हैं।
ii. तराई
- चौड़ाई 10 से 20 किलोमीटर है।
- भाभर क्षेत्र में लुप्त नदियाँ इस प्रदेश में धरातल पर निकल कर प्रकट होती हैं
- यह क्षेत्र प्राकृतिक वनस्पति से ढका रहता है और विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों का घर है।
iii. जलोढ़
- जलोढ़ को भागों में बाँटा गया है
1. बांगर
2. खादर
- यहाँ ज्यादातर क्षेत्र में समय-समय पर बाढ़ आती रहती है और नदियाँ अपना रास्ता बदल कर गुंफित वाहिकाएँ बनाती रहती हैं।
- ब्रह्मपुत्र घाटी का मैदान नदीय द्वीप और बालू-रोधिकाओं की उपस्थिति के लिए जाना जाता है।
4. प्रायद्वीपीय पठार
- भारत के प्राचीनतम और स्थिर भूभागों में से एक है।
- प्रायद्वीपीय पठार तिकोने आकार वाला कटा-फटा भूखंड है
- उत्तर पश्चिम में दिल्ली (अरावली विस्तार),
- पूर्व में राजमहल पहाड़ियाँ,
- पश्चिम में गिर पहाड़ियाँ
- दक्षिण में इलायची (कार्डामम) पहाड़ियाँ
- उत्तर-पूर्व में शिलांग तथा कार्बी-ऐंगलोंग पठार इसी भूखंड का विस्तार है।
प्रायद्वीपीय पठार का विभाजन
1. दक्कन का पठार
सीमाएं:
- उत्तर में: सतपुड़ा मैकाल और महादेव पहाड़ियां ।
- पश्चिम में: पश्चिमी घाट ।
- पूर्व में: पूर्वी घाट।
- दक्षिण में: निलगीरी और इलाइची की पहाड़ियां ।
i. सबसे ऊँची चोटी – अनाईमुड़ी 2695m.
ii. दूसरी सबसे ऊँची चोटी – डोडाबेटा
2. मध्य उच्च भूमि
सीमाएं:
- पश्चिम में: अरावली पर्वत ।
- पूर्व में: राजमहल की पहाड़ियां ।
- दक्षिण में: सतपुड़ा पर्वत ।
3. उत्तरपूर्वी पठार
- प्रायद्वीपीय पठार का ही एक विस्तारित भाग है।
- हिमालय उत्पत्ति के समय इंडियन प्लेट के उत्तर-पूर्व दिशा में खिसकने के कारण राजमहल पहाड़ियों और मेघालय के पठार के बीच भ्रंश घाटी बनने से यह अलग हो गया था।
- बाद में यह नदी द्वारा जमा किए जलोढ़ द्वारा पाट दिया गया।
- आज मेघालय और कार्बी ऐंगलोंग पठार इसी कारण से मुख्य प्रायद्वीपीय पठार से अलग-थलग हैं।
मेघालय का पठार
i. गारो पहाड़ी
ii. खासी पहाड़ी
iii. जयंती पहाड़ी
- मेघालय के पठार भी कोयला, लोहा, सिलीमेनाइट, चूने के पत्थर और यूरेनियम जैसे खनिज पदार्थों का भंडार है।
- इस क्षेत्र में अधिकतर वर्षा दक्षिण-पश्चिमी मानसून से होती है।
5. भारतीय मरुस्थल
- अरावली पहाड़ियों से उत्तर-पूर्व में स्थित है।
- ऊबड़-खाबड़ भूतल है जिस पर बहुत से रेतीले टीले और बरखान पाए जाते हैं।
- वार्षिक वर्षा 150 मिलीमीटर से कम होती है
- यह एक शुष्क और वनस्पति रहित क्षेत्र है।
- यह क्षेत्र समुद्र का हिस्सा था। इसकी पुष्टि आकल में स्थित काष्ठ जीवाश्म पार्क में उपलब्ध प्रमाणों तथा जैसलमेर के निकट ब्रह्मसर के आस-पास के समुद्री निक्षेपों से होती है
- ढाल के आधार पर मरुस्थल को दो भागों में बाँटा जा सकता है- सिंध की ओर ढाल वाला उत्तरी भाग और कच्छ के रन की ओर ढाल वाला दक्षिणी भाग। यहाँ की अधिकतर नदियाँ अल्पकालिक हैं। मरुस्थल के दक्षिणी भाग में बहने वाली लूनी नदी महत्त्वपूर्ण है।
- यहाँ नदियाँ झील या प्लाया में मिल जाती हैं।
- इन प्लाया झीलों का जल खारा होता है जिससे नमक बनाया जाता है।
6 . तटीय मैदान
1. पश्चिमी तट
भारत के पश्चिमी तट पर अरब सागर स्थित है।
- यहाँ की प्रमुख तटीय रेखाएँ गुजरात,महाराष्ट्र,गोवा,और कर्नाटक के राज्यों में आती हैं।
- मुंबई, गोवा, और कोचीन जैसे प्रमुख शहर पश्चिमी तट पर हैं।
2. पूर्वी तट
- भारत के पूर्वी तट पर बंगाल की खाड़ी स्थित है।
- यहाँ की प्रमुख तटीय रेखाएँ ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, और तमिलनाडु में आती हैं।
- चेन्नई, काकीनाडा, और विशाखापत्तनम जैसे प्रमुख शहर पूर्वी तट पर हैं।
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द्वीप समूह
1. अंडमान एवं निकोबार
- 572 द्वीपों का समूह
- 6 degree उत्तर से 14 degree उत्तर
- 92 degree पूर्व से 94 degree पूर्व तक
- दो प्रमुख द्वीप – रिची और लबरिन्थ द्वीप
- दो भागों में विभाजन – उत्तरी अंडमान और दक्षिणी निकोबार
- भारत का एकमात्र जीवंत ज्वालामुखी – बेरन द्वीप
लक्ष्यद्वीप समुह
- 36 द्वीपों का समूह और 11 पर मानव का वास
- 8 degree उत्तर से 12 degree उत्तर
- 71 degree पूर्व से 74 degree पूर्व तक
- मिनिकॉय सबसे बड़ा द्वीप है
- पूरा द्वीप समूह प्रवाल निक्षेपों से बना है
- 9degree चैनल द्वारा अलग होता है
- उत्तरी भाग – अमीनी द्वीप
- दक्षिणी भाग –कनानोरे द्वीप
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